40er - Die Gründungsjahre
1946/47: 1. Klasse Kärnten (höchste Kärntner Spielklasse)
1. | ASK Klagenfurt | 14 | 9 | 3 | 2 | 53-13 | 21 |
2. | SK Austria Klagenfurt | 14 | 10 | 0 | 4 | 39-20 | 20 |
3. | Klagenfurter AC | 14 | 8 | 3 | 3 | 44-23 | 19 |
4. | Villacher SV | 14 | 8 | 1 | 5 | 61-27 | 17 |
5. | Eisenbahner SV Villach | 14 | 6 | 4 | 4 | 24-23 | 16 |
6. | SV Rapid Lienz | 14 | 5 | 3 | 6 | 33-35 | 13 |
7. | SV Spittal/Drau | 14 | 3 | 0 | 11 | 21-49 | 6 |
8. | Wolfsberger AC | 14 | 0 | 0 | 14 | 15-100 | 0 |
Anmerkungen: Spittal und WAC mussten in die Relegation. Zum Torverhältnis des WAC, der die Saison mit ausschließlich Niederlagen beendete, kann auch 10-103 gefunden werden - zu ihren Gunsten wird das unmerklich bessere angeführt...
1947/48: 1. Klasse Kärnten
1. | Klagenfurter AC | 14 | 9 | 3 | 2 | 39-30 | 21 |
2. | ASK Klagenfurt | 14 | 9 | 2 | 3 | 43-14 | 20 |
3. | Villacher SV | 14 | 8 | 1 | 5 | 42-33 | 17 |
4. | SK Austria Klagenfurt | 14 | 6 | 4 | 4 | 19-23 | 16 |
5. | Eisenbahner SV Villach | 14 | 7 | 1 | 6 | 35-25 | 15 |
6. | SV Rapid Lienz | 14 | 5 | 2 | 7 | 31-29 | 12 |
7. | Annabichler SV | 14 | 3 | 5 | 6 | 35-42 | 11 |
8. | ATUS Feldkirchen | 14 | 0 | 0 | 14 | 13-64 | 0 |
Anmerkungen: Auch in diesem Jahr beendet der Tabellenletzte – nach dem Wolfsberger AC nun ATUS Feldkirchen – die Saison mit 14 Niederlagen aus ebenso vielen Spielen.
1948/49: Landesliga Kärnten
1. | SK Austria Klagenfurt | 14 | 12 | 1 | 1 | 38-11 | 25 |
2. | Villacher SV | 14 | 10 | 2 | 2 | 58-21 | 22 |
3. | ASK Klagenfurt | 14 | 6 | 6 | 2 | 39-24 | 18 |
4. | Klagenfurter AC | 14 | 5 | 3 | 6 | 36-36 | 13 |
5. | SV Spittal/Drau | 14 | 3 | 5 | 6 | 36-33 | 11 |
6. | SV Rapid Lienz | 14 | 4 | 3 | 7 | 27-38 | 11 |
7. | Eisenbahner SV Villach | 14 | 3 | 2 | 9 | 30-37 | 8 |
8. | Annabichler SV | 14 | 1 | 2 | 11 | 8-72 | 4 |
Anmerkungen: Die ersten fünf Mannschaften qualifizierten sich für die mit Salzburg neu geschaffene „Tauernliga“. Der SV Rapid Lienz verpasste diesen Aufstieg nur auf Grund des schlechteren Torverhältnisses.
1949/50: 1. Klasse
Niederlagen in den letzen beiden Runden gegen ESV Villach (auswärts 2:1) und SC Magdalen (auswärts 3:1) verhinderten den Meistertitel und damit den Aufstieg in die Tauernliga. In den lokalen Medien findet man dazu: „Aber wie immer in wichtigen Spielen, versagten die Rapidler auch diesmal…“ (Osttiroler Bote, 26.05.1950).